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आम आदमी की थाली से दूर होती आलू और प्याज़ 

सोनभद्र/अमर नाथ शर्मा/ हर मौसम आम जनता की थाली में मौजूद रहने वाले आलू की कीमतों में पिछले कुछ दिनों में उछाल आने से गरीबों की थाली से लुड़कने लगा है। दूसरी सब्जियों की कीमत तो दूर आलू की कीमत पूछकर गरीब लोग जेब की तरफ झांकने लगते हैं। आलू तकरीबन हर सब्जी का साथी माना जाता है। गरीबों की थाली में कुछ हो न हो लेकिन आलू की सब्जी से काम चल जाता था, लेकिन अभी आलू ने जो रफ्तार पकड़ी है। उससे वह भी गरीबों की थाली से दूर होती दिखाई पड़ रही है। पिछले एक हफ्ते में आलू के दामों में अचानक उछाल आया है।

तेजी का क्रम यदि इसी तरह बना रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आलू का भाव पचास पार कर जायेगा।जबकि इसके पहले प्याज और लहसुन के दामों में भी काफी बढ़ोत्तरी देखी गई। 

तहसील मुख्यालय के बाजारों में एक हफ्ते पहले आलू का भाव 35 से 40 रुपए प्रतिकिलो था, वह आज 45 से 50 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है। महंगाई के इस आहट से बेफिक्र गरीबों को आलू ने जोर का झटका दिया है। जिस कारण गरीबों के चेहरों की हवाईयां उड़ गयी है। उन्हें आलू में भी प्याज की वो पुरानी तस्वीर दिखाई पड़ रही है।आलू व्यवसायियों की मानें तो बाजारों में आलू की आवक में भारी कमी के कारण आने वाले दिनों में आलू की कीमत में और वृद्धि हो सकती हैं।

आलू प्याज़ के साथ खाद्य तेलों के दामों में भी इजाफा से गरीबों पर दोहरी मार 

 ऐसा नहीं है कि गरीबों को सिर्फ आलू प्याज खरीदने के लिए जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं बल्कि इन दिनों खाद्य तेलों के दाम भी आम आदमी की पहुँच ऊपर जाती दिख रही हैं क्योंकि ब्रान्डेड कम्पनियों के सरसो के तेल की कीमत भी 140 से 150 रुपये प्रतिलीटर के करीब पहुँच गई हैं तो वहीं रिफाइन तेलों के दामों में भी उछाल आया है।जिस तरह दामों में उछाल देखी जा रही हैं यही उछाल अगर कुछ समय बरकरार रहती है तो आने वाले दिनों में आम लोगों की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं।