ग्राम पंचायत हरपुरा में भ्रष्टाचार का बोलबाला, शौचालय अधूरे
सोनभद्र/ अमर नाथ शर्मा/ विकास खण्ड दुद्धी का ग्राम पंचायत हरपुरा जो कथित घोटाले के नाम पर काफी दिनों से सुर्खियों में रह है। गांव के रहवासियों द्वारा समय-समय पर रोड, नाली, खड़ंजा, शौचालय, आवास आदि विकास कार्यों को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर मुख्यमंत्री तक पत्राचार किया जाता रहा है। प्रधानों का पंचवर्षीय कार्यकाल भी पूरा होने वाला है। ऐसे में गौरतलब बात यह है कि मौजूदा पंचवर्षीय कार्यकाल से असंतुष्ट ग्रामीणों की शिकायतें कितनी जायज़ है। क्या पिछले पांच साल में हरपुरा गांव के विकास में औद्योगिक क्रांति का जो रंग भरा जाना चाहिए था, वह भरा। मौके पर जाकर देखा जाय तो काफी हद तक स्थिति साफ हो सकती है। विकास के नाम पर छले गए भोले-भाले आदिवासियों के गांव की सड़क से लेकर मुंह चिढ़ाते उनके घरों के शौचालय खुद ब खुद विकास की दास्तान को बयां करते नजर आ जाएंगे। अधिकांश आदिवासियों के घरों के अर्धनिर्मित शौचालय न केवल गांव की बहू-बेटियों को खुले में शौच करने पर मजबूर कर रहे हैं बल्कि सरकार की स्वक्षता अभियान की भी पोल खोल रहे हैं। मगर मजेदार तथ्य यह है कि स्थानीय खण्ड विकास अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर मुख्यमंत्री तक भेजे गए गरीब आदिवासियों के शिकायती पत्र पर कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति ही की गई। बदन पर बनियान व कमर पर धोती लपेटे अपने शिक्षित नाती-पोता संग शुक्रवार को हरपुरा गांव से लगभग 15 किमी चलकर क्षेत्रीय विधायक को अपना फरियाद सुनाने तहसील मुख्यालय पहुंचे गरीब वृद्ध आदिवासियों का दुर्भाग्य यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। गांव के निवासी सत्यनारायण, राजेंद्र गुप्ता, राज नारायण, हरि नारायण, शिवसागर, राम बेचन, हृदय नारायण यादव, अशोक, राकेश सिंह, गोरखनाथ, विश्व धारी यादव, अशोक यादव, राजेश गुप्ता, हरकेश, मनधारी आदि में विधायक से मुलाकात न होने से बूढ़े आदिवासी मायूस वापस अपने गंतव्य को जरूर लौट गए लेकिन साथ मे आये उनके बच्चे हाथ में प्रार्थना पत्र लिए देर रात तक विभिन्न अखबारों व पोर्टल के दफ्तरों पर आस भारी निगाह लिए चक्कर लगाते रहे। गांव के 31 शौचालय अभी भी अधूरे हालत में हैं। कुछ ग्रामीण अपनी गाढ़ी कमाई से शौचालय पूरी जरूर कर लिए हैं लेकिन पैसा मांगने जब प्रधान व सचिव के पास जाते हैं तो उन्हें मुकदमें में फंसाने की धमकी देते हुए डांट कर भगा दी जाती है। जिलाधिकारी द्वारा मौजूद समय में पूरे जनपद में अर्धनिर्मित शौचालयों को तत्काल पूरा कराने संबधी आदेश-निर्देश निर्गत किये जा रहे हैं बावजूद हरपुरा गांव के जिम्मेदारों पर इसका प्रभाव पड़ता नही दिखाई दे रहा है। प्रधान सहित सचिव व सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) की भूमिका संदिग्ध बताते हुए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी व जिला पंचायत राज अधिकारी का ध्यान आकृष्ट करते हुए विकास कार्यों के जांच की मांग की है।