सेनोस्फीयर की निकासी व भण्डारण में संविदाकार नियमों की अनदेखी कर करा रहा कार्य

 




योगी सरकार में ज़ीरो टोरलेंस की नीति को फैल करते अनपरा परियोजना के अधिकारी

अनपरा परियोजना के बेलवादह ऐश डाइक से ग्रामीणों के अनुसार सेनोस्फीयर का अवैध रुप से भंडारण निकासी हो रहा

प्रबंधन के संज्ञान मे आने पर बेलवादह टोला चिखुरी का निरिक्षण किया गया, जबकि भंडारण निकासी कुंडाभाटी मे हो रहा

ग्रामीणों के अनुसार बेलवादह टोला कुंडाभाटी मे सैकडों बोरिया भरकर रखी गई है, निकासी भी होती है

अबतक सिक्योरिटी मनी कांट्रेक्टर ने जमा नहीं किया, इसके बावजूद भंडारण किया जा रहा

न्यूनतम मजदूरी व सुरक्षा को दरकिनार कर कार्य कराया जा रहा

मजदूरी का भुगतान चेक से मजदूरों को करने का नियम 

ग्रामीणों के अनुसार कई ट्रैक्टर सेनोस्फीयर उठाया जा चुका है

जांच के नामपर प्रबंधन कर रहा खानापूर्ति

ग्रामीणों का आरोप प्रबंधन की मिलीभगत से सरकार को लग रहा लाखों का चुना

प्रबंधन कितना गंभीर इस से अंदाजा लग सकता है की जहां कार्य नहीं हो रहा जांच वहीं हुआ

उमेश सिंह (सवांददाता)

अनपरा/सोनभद्र

सोनभद्र के अनपरा स्थित अनपरा तापिय परियोजना से निकलने वाले राख बांध का सेनोस्फीयर के टेंडर प्रक्रिया के नियमों को ताकपर रखकर सेनोस्फीयर का भंडारण व निकासी का कार्य करने का आरोप स्थानीय ग्रामीणों ने परियोजना और ठेकेदार पर लगाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया के नियमों की धज्जियां उडाई जा रही है। न्यूनतम मजदूरी से लेकर सेनोस्फीयर निकालने एवं बीना सुरक्षा कार्य कराने के अलावा कांट्रेक्टर द्वारा सिक्योरिटी मनी जमा न करने के बावजूद कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। लोगों का कहना है, एक वर्ष के लिए टेंडर हुआ है, लेकिन कांट्रेक्टर ने अबतक सिक्योरिटी मनी जमा नहीं किया। मजदूरी के रुप मे 50 रुपये प्रति बोरी भुगतान होता है। जब सिक्योरिटी मनी जमा नहीं की गई तो सेनोस्फीयर का भंडारण निकासी क्यों करने दिया जा रहा। मामले ने जब तूल पकडा तो परियोजना अधिकारियों ने खानापूर्ति के लिए जिम्मेदारों को भेजकर स्थल का जांच करवाया सबकुछ पाख-साफ कर कह दिया की कार्य बंद है। ग्रामीणों के अनुसार अधिकारी भी वहां जांच को पहुचे जहां कार्य नहीं हो रहा बेलवादह टोला चिखुरी जबकि कार्य बेलवादह टोला कुंडाभाटी में किया जा रहा कही न कहीं इसमे अधिकारियों की भी मिलिभगत होनी की पूरी संभावना है, वरना अखबारों मे खबर प्रकाशन के बाद नियमानुसार कांट्रेक्टर का टेंडर रद्द करते। सुत्रों का कहना है, कांट्रेक्टर ने सोमवार को सिक्योरिटी मनी जमा करने की बात कही है, क्यों आखिरकार इतने दिन से भंडारण निकासी किसके सह पर हो रही थी यह सवालिया निशान है? 



गौर करने वाली बात ये है कि स्थानीय ग्रामीणों ने कांट्रेक्टर की पोल खोलकर रख दिया है। क्योंकि अबतक सिक्योरिटी जमा नहीं किया गया है और सेनोस्फीयर भंडारण निकासी का माल भी उन्होंने दिखाया इससे साफ है किस प्रकार भ्रष्टाचार किया जा रहा और सरकारी राजस्व को चुना लगाया जा रहा। तकरीबन 2 करोड़ 49 लाख 7 हजार 500 रुपये है। ग्रामीणों की माने तो टेंडर कास्ट मोटी रकम होने से कांट्रेक्टर और कांट्रैक्ट को पाने के लिए दोनो पक्षों की ओर से मीडिया का सहारा लिया जा रहा और एक से भ्रष्टाचार को उजागर तो दूसरी ओर से जांच के खानापूर्ति की खबर अपने पक्ष में खबरों का प्रकाशन कराया जा रहा। सच क्या है, स्थानीय ग्रामीणों से ज्यादा कौन भाप सकता है जो वहां के निवासी है कार्य हो रहा या नहीं। 



परियोजना के गाइडलाइन के अनुसार सिक्योरिटी मनी जमा न करने पर टेंडर निरस्त कर दिये जाने का प्रावधान बताया या है, तो भंडारण प्रक्रिया कैसे चल रही यह सवालिया निशान। 



दूसरा सवाल अधिकारी किस स्थल का जांच करने गये और उन्हें कुछ भी नहीं मिला तो जो फोटो और वीडियो हमारे पास वह किस स्थान का जबकि ग्रामीणों का कहना है काफी समय से भंडारण निकासी कार्य चल रहा। तीसरा सवाल अगर कार्य की अनुमति नहीं दी गई तो भंडारण निकासी का कार्य किसके सह पर चल रहा कहीं न कहीं संबंधित अधिकारी की भूमिका इसमे संदिग्ध है।



 मौके पर मिली महिला मजदूर का साफ कहना है की वह भी दो दिनों से कार्य कर रही है और मजदूरी के रुप में 50 रुपये बोरी मिलते है, इससे यह भी सवाल खडा होता है की परियोजना अधिकारी ठेकेदार के मनमाने कार्य पर पर्दा क्यों डालने में लगे है। 



एक वर्ष के लिए तकरीबन 450 टन मेसर्स श्री बाके बिहारी टे्डर्स को मिला है , लेकिन अबतक सिक्योरिटी मनी जमा नहीं की गई इस कारण कार्य प्रारंभ करने की अवधि (डेट आफ स्टार्ट डेट) जारी नहीं हुआ है। परियोजना अधिकारी एनके मौर्या का कहना है राख बांध से जो सेनोस्फीयर छानकर निकाला जाता है उसे भंडारण कराया गया है, जबतक संविदाकार सिक्योरिटी मनी जमा नहीं करता तबतक सेनोस्फीयर उठाने नहीं दिया जायेगा।यह मामला परियोजना के संबंधित अधिकारी के संज्ञान में होने के बावजूद भी आन कैमरे पर इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार किया। इससे साफतौर पर अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि इस कार्य मे भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।